विभिन्न प्रकार के रंगों से बनाई जाने वाली भारत की प्राचीन सांस्कृतिक परंपरा और लोक कला है। इसका एक नाम रंगोली भी है। अल्पना भारत के कई घरों के आँगन मे हर दिन बनाई जाती है। विशेष तौर पर महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में यह ज्यादा देखने को मिलती है। प्राय: अलग-अलग प्रदेशों में अल्पना के नाम और उसकी शैली में भिन्नता हो सकती है, किंतु इसके पीछे निहित भावना और संस्कृति में पर्याप्त समानता रहती है। अल्पना की यही विशेषता इसे विविधता देती है और इसके विभिन्न आयामों को भी प्रदर्शित करती है। यह सामान्यत: त्योहार, व्रत, पूजा, उत्सव और विवाह आदि शुभ अवसरों पर सूखे और प्राकृतिक रंगों से बनाई जाती है। अल्पना के वैसे तो साधारण ज्यामितिक आकार हो सकते हैं, लेकिन फिर भी देवी-देवताओं की आकृतियाँ आदि भी इसमें बनाई जाती हैं।
नियम:-
1. रंगोलीकला 3 फीटx3 फीट का होना चाहिए।
2. रंगोली की थीम भारत की संस्कृति।
3.प्रतियोगिता का केवल एक दौर होगा।
4.रंगोली को पूरा करने के लिए अधिकतम समय दो घंटे है।
5.रंगोली तैयार करने के लिए आवश्यक सामग्री की व्यवस्था के लिए टीम जिम्मेदार होगी।रंगोली बनाने के लिए केवल रंगोली रंगों का उपयोग किया जा सकता है।
6.रंगोली की तैयारी के लिए प्रतिभागियों को किसी भी मुद्रित सामग्री आदि का संदर्भ नहीं दिया जाएगा।
7.एक समूह में दो से अधिक प्रतिभागी नहीं हो सकते हैं।
8.एक व्यक्ति द्वारा एकाधिक प्रविष्टियों की अनुमति नहीं है।
9.प्रतिभागियों द्वारा अनुशासन का कोई भी कार्य करने पर पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा।
निर्णयमानदंड:
निर्णय निम्नलिखित मानदंडों पर आधारित होगा-
● कुल मिलाकर उपस्थिति और अपील
● रंगोली कला में विवरण और स्पष्टता।
● रंग संयोजन।
● रचनात्मकता।